वायु होने यानी वात प्रकोप होने के कुछ कारण होते हैं जैसे अनियमित ढंग से आहार लेना, भारी तले हुए मिर्च मसाले दार तथा खटाई युक्त पदार्थो का अति सेवन करना, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रहना
वायु होने यानी वात प्रकोप होने के कुछ कारण होते हैं जैसे अनियमित ढंग से आहार लेना, भारी तले हुए मिर्च मसाले दार तथा खटाई युक्त पदार्थो का अति सेवन करना, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रहना...
पाचनशक्ति बढ़ाने और वातप्रकोप (गैस) का शमन करने वाले एक श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग-गेसोल लेट का परिचय प्रस्तुत हैं।
पाचनशक्ति बढ़ाने और वातप्रकोप (गैस) का शमन करने वाले एक श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग-गेसोल लेट का परिचय प्रस्तुत हैं।...
यह चूर्ण और इसकी विधि वैधराज लोलिम्बराज ने प्रदान की है। इस चूर्ण को अपनाकर बहुत से लोगो ने लाभ उठाया है। यह बनाने में बहुत आसान है। इसे तैयार करके हर समय घर पर रखना चाहिए।
यह चूर्ण और इसकी विधि वैधराज लोलिम्बराज ने प्रदान की है। इस चूर्ण को अपनाकर बहुत से लोगो ने लाभ उठाया है। यह बनाने में बहुत आसान है। इसे तैयार करके हर समय घर पर रखना चाहिए।...
यदि खाया हुआ आहार पूरी तरह पच न पाये और आमाशय में इसका अनपका अंश बचता रहे तो यह रोग का कारण हो जाता है। इस अनपके अंश को आम और बोलचाल की भाषा में आंव कहते हैं। यदि अपच की स्थिति होती है तो कब्ज़ की स्थिति भी बन ही जाएगी। कब्ज़ और अपच होने पर वात का प्रकोप होता है और जब आम और वात मिल कर रक्त संचार के साथ शरीर में भ्रमण करने लगते हैं तब इस ...
यदि खाया हुआ आहार पूरी तरह पच न पाये और आमाशय में इसका अनपका अंश बचता रहे तो यह रोग का कारण हो जाता है। इस अनपके अंश को आम और बोलचाल की भाषा में आंव कहते हैं। यदि अपच की स्थिति होती है तो कब्ज़ की स्थिति भी बन ही जाएगी। कब्ज़ और अपच होने पर वात का प्रकोप होता है और जब आम और वात मिल कर रक्त संचार के साथ शरीर में भ्रमण करने लगते हैं तब इस स्थिति को आमवात होना कहते हैं। यदि इस स्थिति को जल्दी ठीक न किया जाए तो यह स्थिति सन्धिवात में परिवर्तित हो जाती है |...
पेट दर्द के कई कारण होते हैं। इन कारणों का उचित निदान करके कारण दूर करना चाहिए और उस कारण से उत्पन्न हुए शूल को ठीक करने का इलाज करना चाहिए । क़ब्ज़ के कारण मल सूखने, वात प्रकोप (गैस ट्रबल) होने और अधोवायु न निकलने, पेट में अलसर होने, कोलाइटिस यानि आंत में सूजन होने आदि कारणों से पेट में दर्द होता है।
पेट दर्द के कई कारण होते हैं। इन कारणों का उचित निदान करके कारण दूर करना चाहिए और उस कारण से उत्पन्न हुए शूल को ठीक करने का इलाज करना चाहिए । क़ब्ज़ के कारण मल सूखने, वात प्रकोप (गैस ट्रबल) होने और अधोवायु न निकलने, पेट में अलसर होने, कोलाइटिस यानि आंत में सूजन होने आदि कारणों से पेट में दर्द होता है।...
बवासीर होने का मुख्य कारण लम्बे समय तक क़ब्ज़ का बना रहना होता है। क़ब्ज़ रहने के साथ पित्त का प्रकोप भी बना रहे या अम्लपित्त काफ़ी लम्बे समय तक बना रहे तो खूनी बवासीर हो जाती है। पित्तजन्य कारणों से खूनी तथा वात एवं कफजन्य कारणों से बादी बवासीर होती है।
बवासीर होने का मुख्य कारण लम्बे समय तक क़ब्ज़ का बना रहना होता है। क़ब्ज़ रहने के साथ पित्त का प्रकोप भी बना रहे या अम्लपित्त काफ़ी लम्बे समय तक बना रहे तो खूनी बवासीर हो जाती है। पित्तजन्य कारणों से खूनी तथा वात एवं कफजन्य कारणों से बादी बवासीर होती है।...
वात प्रकोप - हलके, रूखे, शीघ्र पचने वाले पदार्थों का दीर्घकाल तक सेवन करने, बहुत दिनों तक अल्प मात्रा में भोजन करने, अति शीत सहने या शीतल पदार्थ का अति सेवन करने, अधिक परिश्रम करने, किसी प्रिय वस्तु की तीव्र इच्छा होने पर भी प्राप्त न होने, शोक, भय कामुकता या चिन्ता से ग्रस्त होने पर, देर रात तक जागने पर, देर तक स्नान करने से और भोजन ...
वात प्रकोप - हलके, रूखे, शीघ्र पचने वाले पदार्थों का दीर्घकाल तक सेवन करने, बहुत दिनों तक अल्प मात्रा में भोजन करने, अति शीत सहने या शीतल पदार्थ का अति सेवन करने, अधिक परिश्रम करने, किसी प्रिय वस्तु की तीव्र इच्छा होने पर भी प्राप्त न होने, शोक, भय कामुकता या चिन्ता से ग्रस्त होने पर, देर रात तक जागने पर, देर तक स्नान करने से और भोजन के जीर्ण होने व रस रक्त आदि धातुओं के क्षीण होने (जैसे वृद्धावस्था) आदि कारणों से वात (वायु) कुपित होता है ।...
जब पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है तब खाया हुआ आहार पूरी तरह नहीं पचता जिससे मल बंध नहीं पाता और दस्त पतला हो जाता है । बार बार पतले दस्त होना ‘अतिशयेन सारयति रेचयति इति अतिसार:’ के अनुसार ‘अधिक मात्रा में मल का बार-बार निस्सरण यानि निकलना’ अतिसार कहलाता है । मल के अपक्व और कुपित अवस्था में होने से वात (वायु) का प्रकोप होता है और यह ब...
जब पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है तब खाया हुआ आहार पूरी तरह नहीं पचता जिससे मल बंध नहीं पाता और दस्त पतला हो जाता है । बार बार पतले दस्त होना ‘अतिशयेन सारयति रेचयति इति अतिसार:’ के अनुसार ‘अधिक मात्रा में मल का बार-बार निस्सरण यानि निकलना’ अतिसार कहलाता है । मल के अपक्व और कुपित अवस्था में होने से वात (वायु) का प्रकोप होता है और यह बढ़ी हुई वायु अपने दबाव से पतले मल को बार बार गुदा द्वार की और धकेलती है इससे बार-बार पतले दस्त होते हैं ।...
तेज़ मिर्च मसालेदार पदार्थ, चाट-पकौड़ी और कचौरी-समोसे आदि नमकीन व्यंजनों का अति सेवन करने, मद्य-मांस और तम्बाकू का सेवन करने आदि कारणों से शरीर में पित्त का प्रकोप होता है और लम्बे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो अम्लपित्त (Hyperacidity) नामक व्याधि हो जाती है । अम्लपित्त की स्थिति लम्बे समय तक बनी रहे
तेज़ मिर्च मसालेदार पदार्थ, चाट-पकौड़ी और कचौरी-समोसे आदि नमकीन व्यंजनों का अति सेवन करने, मद्य-मांस और तम्बाकू का सेवन करने आदि कारणों से शरीर में पित्त का प्रकोप होता है और लम्बे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो अम्लपित्त (Hyperacidity) नामक व्याधि हो जाती है । अम्लपित्त की स्थिति लम्बे समय तक बनी रहे...
मुलहठी का चूर्ण 100 ग्राम, सोंठ चूर्ण 10 ग्राम और गुलाब के सूखे फूल 5 ग्राम, तीनों को एक गिलास पानी में डाल कर उबालें । जब पानी आधा शेष रहे तब उतार कर छान लें । ठण्डा करके सोते समय पिएं । यह नुस्खा क़ब्ज़ नाशक तो है ही, पेट में जमी हुई आंव को भी निकाल देता है ।अजवायन, वायविडंग, निशोथ, सौंफ, काला नमक, छोटी हरड़- सब 10-10 ग्राम ।
मुलहठी का चूर्ण 100 ग्राम, सोंठ चूर्ण 10 ग्राम और गुलाब के सूखे फूल 5 ग्राम, तीनों को एक गिलास पानी में डाल कर उबालें । जब पानी आधा शेष रहे तब उतार कर छान लें । ठण्डा करके सोते समय पिएं । यह नुस्खा क़ब्ज़ नाशक तो है ही, पेट में जमी हुई आंव को भी निकाल देता है ।अजवायन, वायविडंग, निशोथ, सौंफ, काला नमक, छोटी हरड़- सब 10-10 ग्राम ।...
पंच सकार चूर्ण - यह नुस्खा हलके जुलाब का काम करता है । इस नुस्खे में पांच द्रव्य होते हैं और पांचों द्रव्यों के नाम ‘स’ अक्षर से शुरू होते हैं इसलिए इसे पंच सकार चूर्ण कहा जाता है । जिन व्यक्तियों का काम हलके जुलाब से चल जाए उनके लिए ‘पंच सकार चूर्ण’ का सेवन उपयोगी होगा ।
पंच सकार चूर्ण - यह नुस्खा हलके जुलाब का काम करता है । इस नुस्खे में पांच द्रव्य होते हैं और पांचों द्रव्यों के नाम ‘स’ अक्षर से शुरू होते हैं इसलिए इसे पंच सकार चूर्ण कहा जाता है । जिन व्यक्तियों का काम हलके जुलाब से चल जाए उनके लिए ‘पंच सकार चूर्ण’ का सेवन उपयोगी होगा ।...
वायु होने यानी वात प्रकोप होने के कुछ कारण होते हैं जैसे अनियमित ढंग से आहार ...
पाचनशक्ति बढ़ाने और वातप्रकोप (गैस) का शमन करने वाले एक श्रेष्ठ आयुर्वेदिक यो...
यह चूर्ण और इसकी विधि वैधराज लोलिम्बराज ने प्रदान की है। इस चूर्ण को अपनाकर ...
यदि खाया हुआ आहार पूरी तरह पच न पाये और आमाशय में इसका अनपका अंश बचता रहे तो य...
पेट दर्द के कई कारण होते हैं। इन कारणों का उचित निदान करके कारण दूर करना चाहि...
वात प्रकोप - हलके, रूखे, शीघ्र पचने वाले पदार्थों का दीर्घकाल तक सेवन करने, बह...
जब पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है तब खाया हुआ आहार पूरी तरह नहीं पचता जिससे मल बं...
तेज़ मिर्च मसालेदार पदार्थ, चाट-पकौड़ी और कचौरी-समोसे आदि नमकीन व्यंजनों का अत...
मुलहठी का चूर्ण 100 ग्राम, सोंठ चूर्ण 10 ग्राम और गुलाब के सूखे फूल 5 ग्राम, तीनों ...
पंच सकार चूर्ण - यह नुस्खा हलके जुलाब का काम करता है । इस नुस्खे में पांच द्रव...