कारण - इसे पूयमेह भी कहते हैं। ऋतुमती स्त्री या वेश्या के साथ सहवास करने, शराब और तेज़ मसालेदार पदार्थों के सेवन और इस रोग के रोगी के साथ रहने से यह रोग उत्पन्न होता है। यह उपदंश और गरमी रोग जैसा ही है पर उससे अलग और संक्रामक (छूत का) रोग है। इस रोग से ग्रस्त स्त्री या पुरुष के साथ सहवास करने वाले को यह रोग पकड़ लेता है
कारण - इसे पूयमेह भी कहते हैं। ऋतुमती स्त्री या वेश्या के साथ सहवास करने, शराब और तेज़ मसालेदार पदार्थों के सेवन और इस रोग के रोगी के साथ रहने से यह रोग उत्पन्न होता है। यह उपदंश और गरमी रोग जैसा ही है पर उससे अलग और संक्रामक (छूत का) रोग है। इस रोग से ग्रस्त स्त्री या पुरुष के साथ सहवास करने वाले को यह रोग पकड़ लेता है...
कारण - इस रोग को आतशक या गरमी भी कहते है। वेश्या या कालगर्ल टाइप की स्त्रियां अक्सर इस रोग से ग्रस्त रहती हैं। इस रोग से ग्रस्त स्त्री के साथ सम्भोग करने, या ऐसे व्यक्ति के निकट सम्पर्क में रहने, साथ खाने पीने या उसका अधोवस्त्र (जांघिया, चड्डी आदि) पहनने आदि से यह रोग तुरन्त दबोच लेता है। इस रोग के लक्षण आमतौर पर ३-४ सप्ताह में प्र...
कारण - इस रोग को आतशक या गरमी भी कहते है। वेश्या या कालगर्ल टाइप की स्त्रियां अक्सर इस रोग से ग्रस्त रहती हैं। इस रोग से ग्रस्त स्त्री के साथ सम्भोग करने, या ऐसे व्यक्ति के निकट सम्पर्क में रहने, साथ खाने पीने या उसका अधोवस्त्र (जांघिया, चड्डी आदि) पहनने आदि से यह रोग तुरन्त दबोच लेता है। इस रोग के लक्षण आमतौर पर ३-४ सप्ताह में प्रकट होने लगते हैं।...
कारण - यह रोग शिक्षित एवं समझदार वर्ग में कम और अशिक्षित एवं ग्रामीणवर्ग में ज्यादातर पाया जाता है। जननेन्द्रिय की साफ़-सफ़ाई न करने, वेश्यागमन या परस्त्रीगमन करने, अविवेकपूर्ण ढंग से सम्भोग करने, लिंग में रगड़, नाखून या कठोर वस्तु से कट लगने, स्त्री के ऋतुकाल (मासिकधर्म के दिनों) में सहवास करने आदि कारणों से यह रोग हो जाता है...
कारण - यह रोग शिक्षित एवं समझदार वर्ग में कम और अशिक्षित एवं ग्रामीणवर्ग में ज्यादातर पाया जाता है। जननेन्द्रिय की साफ़-सफ़ाई न करने, वेश्यागमन या परस्त्रीगमन करने, अविवेकपूर्ण ढंग से सम्भोग करने, लिंग में रगड़, नाखून या कठोर वस्तु से कट लगने, स्त्री के ऋतुकाल (मासिकधर्म के दिनों) में सहवास करने आदि कारणों से यह रोग हो जाता है।...
बबूल की नर्म पत्तियां ५ से १० ग्राम वज़न में खूब चबा चबा कर खा लें और ठण्डा पानी पी लें । २-३ सप्ताह यह प्रयोग करने पर स्वप्नदोष होना बन्द हो जाएगा। शीतकाल में, पाव भर दूध में ३ छुहारे और २ चम्मच पिसी मिश्री डाल कर खूब पकाएं। जब दूध आधा रह जाए तब उतार कर छुहारे की गुठली निकाल कर फेंक दें तथा छुहारे खाते हुए दूध घूंट-घूंट करके पीते ...
बबूल की नर्म पत्तियां ५ से १० ग्राम वज़न में खूब चबा चबा कर खा लें और ठण्डा पानी पी लें । २-३ सप्ताह यह प्रयोग करने पर स्वप्नदोष होना बन्द हो जाएगा।
शीतकाल में, पाव भर दूध में ३ छुहारे और २ चम्मच पिसी मिश्री डाल कर खूब पकाएं। जब दूध आधा रह जाए तब उतार कर छुहारे की गुठली निकाल कर फेंक दें तथा छुहारे खाते हुए दूध घूंट-घूंट करके पीते रहें।...
स्वप्नदोष नामक व्याधि मुख्यतः दो कारणों से होती है। पहला कारण क़ब्ज़ रहना और पेट ठीक से साफ़ न होना है जिससे कोठे में उष्णता के प्रभाव से ‘स्वप्नदोष' यानि सोते हुए वीर्यपात होने की स्थिति निर्मित हो जाया करती है। दूसरा कारण है स्वप्न में कामुक दृश्य देखना या कामक्रीड़ा करने का स्वप्न देखना । इस कारण से, अन्तर्मन के आदेश से स...
स्वप्नदोष नामक व्याधि मुख्यतः दो कारणों से होती है। पहला कारण क़ब्ज़ रहना और पेट ठीक से साफ़ न होना है जिससे कोठे में उष्णता के प्रभाव से ‘स्वप्नदोष' यानि सोते हुए वीर्यपात होने की स्थिति निर्मित हो जाया करती है। दूसरा कारण है स्वप्न में कामुक दृश्य देखना या कामक्रीड़ा करने का स्वप्न देखना । इस कारण से, अन्तर्मन के आदेश से सोते हुए भी यौनांग सक्रिय हो जाता है...
हमें अनेक नवविवाहित एवं प्रौढ़ दम्पत्तियों से यौन समस्याओं से सम्बन्धित पत्र मिला करते हैं। उन समस्याओं में प्रमुख समस्या शीघ्रपतन की होती है। यद्यपि इस समस्या को उत्पन्न करने में दम्पत्ति की मानसिकता, मानसिक स्थिति, आसपास के वातावरण और पारस्परिक व्यवहार और सम्बन्धों का हाथ ज्यादा होता है जिसमें यथोचित एवं अनुकूल सुधार...
हमें अनेक नवविवाहित एवं प्रौढ़ दम्पत्तियों से यौन समस्याओं से सम्बन्धित पत्र मिला करते हैं। उन समस्याओं में प्रमुख समस्या शीघ्रपतन की होती है। यद्यपि इस समस्या को उत्पन्न करने में दम्पत्ति की मानसिकता, मानसिक स्थिति, आसपास के वातावरण और पारस्परिक व्यवहार और सम्बन्धों का हाथ ज्यादा होता है जिसमें यथोचित एवं अनुकूल सुधार किया जाना बहुत ज़रूरी है...
विवेक और धैर्य से काम न लेकर अज्ञानता एवं उतावलेपन से काम लेने वाले आप इस शीघ्रपतन नामक रोग (Premature ejaculation) से ग्रस्त रहते हैं। इस विषय में विस्तार से ‘स्तम्भनकारी योग एवं उपाय' एवं 'आवश्यक सावधानियां' शीर्षक वाले विवरण को पढ़ कर अपनी मानसिकता को बदलने, सुधारने और मज़बूत बनाने की निरन्तर और भरपूर कोशिश करें । हितकारी नुस्खों का विव...
विवेक और धैर्य से काम न लेकर अज्ञानता एवं उतावलेपन से काम लेने वाले आप इस शीघ्रपतन नामक रोग (Premature ejaculation) से ग्रस्त रहते हैं। इस विषय में विस्तार से ‘स्तम्भनकारी योग एवं उपाय' एवं 'आवश्यक सावधानियां' शीर्षक वाले विवरण को पढ़ कर अपनी मानसिकता को बदलने, सुधारने और मज़बूत बनाने की निरन्तर और भरपूर कोशिश करें । हितकारी नुस्खों का विवरण यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।...
हमने एक विशेष बात यह नोट की है कि नई उम्र के बच्चे अज्ञानवश कई प्रकार की निराधार एवं भ्रमपूर्ण धारणाओं और आशंकाओं में फंसे रहते हैं। वे इस विषय में बड़ी आयु वालों से बातचीत, पूछताछ या शंका समाधान तो करने से रहे लिहाज़ा हम-उम्र साथियों से ही सलाह लेते हैं या फिर बाज़ार में उपलब्ध पुस्तकों और पत्रिकाओं में अपनी शंकाओं का समाधान ...
हमने एक विशेष बात यह नोट की है कि नई उम्र के बच्चे अज्ञानवश कई प्रकार की निराधार एवं भ्रमपूर्ण धारणाओं और आशंकाओं में फंसे रहते हैं। वे इस विषय में बड़ी आयु वालों से बातचीत, पूछताछ या शंका समाधान तो करने से रहे लिहाज़ा हम-उम्र साथियों से ही सलाह लेते हैं या फिर बाज़ार में उपलब्ध पुस्तकों और पत्रिकाओं में अपनी शंकाओं का समाधान खोजते हैं।...
शीघ्रपतन होना दर असल कोई रोग नहीं बल्कि एक प्रकार की मानसिकता या आदत का परिणाम होना है। शीघ्रपतन का मतलब होता है सहवास के समय स्त्री के स्खलित एवं सन्तुष्ट होने से पहले ही पुरुष का वीर्यपात हो जाना। वीर्यपात जितनी देर तक नहीं होता उतनी अवधि को स्तम्भन होना कहते हैं और स्तम्भन बनाये रखनी वाली क्षमता को ‘स्तम्भन शक्ति' कहते है...
शीघ्रपतन होना दर असल कोई रोग नहीं बल्कि एक प्रकार की मानसिकता या आदत का परिणाम होना है। शीघ्रपतन का मतलब होता है सहवास के समय स्त्री के स्खलित एवं सन्तुष्ट होने से पहले ही पुरुष का वीर्यपात हो जाना। वीर्यपात जितनी देर तक नहीं होता उतनी अवधि को स्तम्भन होना कहते हैं और स्तम्भन बनाये रखनी वाली क्षमता को ‘स्तम्भन शक्ति' कहते हैं।...
विवाहित प्रौढ़ पुरुषों को पौरुषबल बनाये रखने के लिए शीतकाल में कोई एक वाजीकारक नुस्खा अवश्य सेवन करना चाहिए । इसके प्रभाव से पूरे वर्ष भर तक उनका शरीर स्वस्थ व बलवान बना रहेगा । स़फेद प्याज का रस 8 चम्मच, अदरक का रस 6 चम्मच, शहद 4 चम्मच और शुद्ध घी 2 चम्मच । यह कुल हुआ 20 (चायवाले) चम्मच । यह 5 दिन की खुराक है । इसके पांच हिस्से की मात्रा ...
विवाहित प्रौढ़ पुरुषों को पौरुषबल बनाये रखने के लिए शीतकाल में कोई एक वाजीकारक नुस्खा अवश्य सेवन करना चाहिए । इसके प्रभाव से पूरे वर्ष भर तक उनका शरीर स्वस्थ व बलवान बना रहेगा । स़फेद प्याज का रस 8 चम्मच, अदरक का रस 6 चम्मच, शहद 4 चम्मच और शुद्ध घी 2 चम्मच । यह कुल हुआ 20 (चायवाले) चम्मच । यह 5 दिन की खुराक है । इसके पांच हिस्से की मात्रा करके एक मात्रा यानि 4 चम्मच (चाय वाला) प्रतिदिन प्रात: चाय से पहले लेकर 5 दिन में इसको खत्म कर लें । छठे दिन फिर ताज़ा बना लें । चाहें तो रोज़ ताज़ा रस निकाल कर स...
अनेक पाठकों ने पत्र लिख कर पूछा है कि वाजीकरण औषधियां के गुण-लाभ, उपयोग के नियम और इनकी उपयोगिता क्या है ? इन औषधियों का सेवन, कब, कैसे और किस स्थिति में करना उचित होता है ? ये औषधियां वैसे गुण लाभ करती भी हैं या नहीं जैसा इनके विषय में कहा जाता है । ऐसे सभी जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान हम यहां शास्त्रीय आधार पर लेकिन सरल शैली में...
अनेक पाठकों ने पत्र लिख कर पूछा है कि वाजीकरण औषधियां के गुण-लाभ, उपयोग के नियम और इनकी उपयोगिता क्या है ? इन औषधियों का सेवन, कब, कैसे और किस स्थिति में करना उचित होता है ? ये औषधियां वैसे गुण लाभ करती भी हैं या नहीं जैसा इनके विषय में कहा जाता है । ऐसे सभी जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान हम यहां शास्त्रीय आधार पर लेकिन सरल शैली में प्रस्तुत कर रहे हैं ।...
स्वास्थ्य सुधारने तथा शरीर को पुष्ट एवं सुडौल बनाने के लिए वर्ष भर में सबसे अनुकूल समय शीतकाल का ही होता है क्योंकि इस ऋतु में पाचनशक्ति प्राकृतिक रूप से अच्छा काम करती है जिससे खाया-पिया ठीक से पच जाता है और शरीर को लाभ पहुंचाता है। वर्ष भर तक आहार-विहार के प्रति लापरवाह रहने वालों को भी शीत ऋतु में उचित आहार-विहार कर मौके का ...
स्वास्थ्य सुधारने तथा शरीर को पुष्ट एवं सुडौल बनाने के लिए वर्ष भर में सबसे अनुकूल समय शीतकाल का ही होता है क्योंकि इस ऋतु में पाचनशक्ति प्राकृतिक रूप से अच्छा काम करती है जिससे खाया-पिया ठीक से पच जाता है और शरीर को लाभ पहुंचाता है। वर्ष भर तक आहार-विहार के प्रति लापरवाह रहने वालों को भी शीत ऋतु में उचित आहार-विहार कर मौके का फायदा उठाना चाहिए।...
बबूल की नर्म पत्तियां ५ से १० ग्राम वज़न में खूब चबा चबा कर खा लें और ठण्डा पा...
हमें अनेक नवविवाहित एवं प्रौढ़ दम्पत्तियों से यौन समस्याओं से सम्बन्धित पत...
विवेक और धैर्य से काम न लेकर अज्ञानता एवं उतावलेपन से काम लेने वाले आप इस शीघ...
हमने एक विशेष बात यह नोट की है कि नई उम्र के बच्चे अज्ञानवश कई प्रकार की निराध...
विवाहित प्रौढ़ पुरुषों को पौरुषबल बनाये रखने के लिए शीतकाल में कोई एक वाजीका...
अनेक पाठकों ने पत्र लिख कर पूछा है कि वाजीकरण औषधियां के गुण-लाभ, उपयोग के निय...
स्वास्थ्य सुधारने तथा शरीर को पुष्ट एवं सुडौल बनाने के लिए वर्ष भर में सबसे ...