मुंहासे

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युवाकाल के प्रारम्भ में प्रायः कई युवक-युवतियों के मुंह पर मुंहासे हो जाया करते हैं। इनसे कई का चेहरा ही कुरूप हो जाता है। ऊपर से मुंहासे नाशक दवाइयां लगाने से प्रायः आराम नहीं होता क्योंकि मुंहासे होने के जो कारण शरीर के अन्दर मौजूद होते हैं उन कारणों को दूर किये बिना ऊपर-ऊपर से उपाय करना हितकारी नहीं हो सकता। सिर्फ जवानी आना ही मुंहासे होने मे कारण नहीं माना जा सकता, क्योंकि जवानी तो सभी को आती है पर सब को मुंहासे नहीं होते। जिनको होते हैं उन्हीं को होते हैं। प्रायः चिकनी और तैलीय त्वचा वालों के चेहरे पर मुंहासे हुआ करते हैं। तले पदार्थ, खट्टे और तेज़ मिर्च-मसाले वाले उष्ण पदार्थ, मांस, अण्डा, चाय, क़ाफी आदि का सेवन करने से मुंहासे होने और बने रहने की सम्भावना बढ़ती है। पेट साफ़ न होना, अपच और क़ब्ज़ बना रहना भी इसके मुख्य कारण हैं। शरीर की तासीर गर्म होना, उष्णता बढ़ना और शरीर की उष्णता बढ़ाने वाले पदार्थ खाना भी इसके कारणों में शामिल है । इन कारणों को तुरन्त दूर करना चाहिए। कुछ हितकारी उपाय यहां प्रस्तुत हैं-

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युवाकाल के प्रारम्भ में प्रायः कई युवक-युवतियों के मुंह पर मुंहासे हो जाया करते हैं। इनसे कई का चेहरा ही कुरूप हो जाता है। ऊपर से मुंहासे नाशक दवाइयां लगाने से प्रायः आराम नहीं होता क्योंकि मुंहासे होने के जो कारण शरीर के अन्दर मौजूद होते हैं उन कारणों को दूर किये बिना ऊपर-ऊपर से उपाय करना हितकारी नहीं हो सकता। सिर्फ जवानी आना ही मुंहासे होने मे कारण नहीं माना जा सकता, क्योंकि जवानी तो सभी को आती है पर सब को मुंहासे नहीं होते। जिनको होते हैं उन्हीं को होते हैं। प्रायः चिकनी और तैलीय त्वचा वालों के चेहरे पर मुंहासे हुआ करते हैं। तले पदार्थ, खट्टे और तेज़ मिर्च-मसाले वाले उष्ण पदार्थ, मांस, अण्डा, चाय, क़ाफी आदि का सेवन करने से मुंहासे होने और बने रहने की सम्भावना बढ़ती है। पेट साफ़ न होना, अपच और क़ब्ज़ बना रहना भी इसके मुख्य कारण हैं। शरीर की तासीर गर्म होना, उष्णता बढ़ना और शरीर की उष्णता बढ़ाने वाले पदार्थ खाना भी इसके कारणों में शामिल है । इन कारणों को तुरन्त दूर करना चाहिए। कुछ हितकारी उपाय यहां प्रस्तुत हैं-

चेहरे को ठण्डे पानी से धोकर, गर्म पानी में तौलिया गीला करके चेहरे पर रखकर भाप सेक करें। इसके तुरन्त बाद ठण्डे पानी का तौलिया मुंह पर रखें या बर्फ घिसे। चेहरे को रूखा व सूखा रखें। मुंहासों को दबाना या खींचना नहीं चाहिए। आहार में हलका व सुपाच्य भोजन लें और आधा पेट कच्ची हरी शाक सब्ज़ी, सलाद व फल से भरें। हरी ककड़ी के रस में नीबू या सन्तरे का रस मिला कर चेहरे पर लगाएं और आधा घण्टे बाद धो डालें। सुबह उठकर हलक़ में अंगुली डाल कर उल्टी करके पेट में पड़ा अम्लीय अंश रोज़ाना निकाल दिया करें, इससे मुंहासों में ज़ल्दी लाभ होता है। सुबह-शाम दोनों वक्त अनिवार्य रूप से शौच के लिए जाया करें। स्नान करते समय युवक-युवतियों को नियमित रूप से अपने गुप्तांग को जल से धो कर साफ़ करना चाहिए यह बहुत ज़रूरी है।

सुश्रुत संहिता चिकित्सा स्थान अध्याय २० श्लोक ३७ में बताया गया निम्नलिखित उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है अतः इसका उपयोग अवश्य करना चाहिए- धनिया, वच, लोध और कूठ को कूट-पीसकर सम मात्रा में लेकर मिला लें व शीशी में भर कर रख लें। इसको दस ग्राम मात्रा में लेकर १ कप पानी में गाढ़ा घोल लें। पत्थर पर जायफल पानी के साथ इतना घिसें कि छोटा चम्मच आधा भर जाए । इसे भी इस घोल में मिला लें और शाम को चेहरे पर और मुंहासों पर ज़रा ज्यादा लगाएं। एक घण्टा लगा रहने दें फिर हलके से रगड़ कर छुड़ा लें। सुबह उठ कर चेहरा धो लें। कुछ दिन तक प्रतिदिन यह लेप लगातार लगाते रहने से मुंहासे निकलना बन्द हो जाते हैं। यह प्रयोग करते हुए सुपाच्य तथा हलका आहार लेना चाहिए। भोजन के बाद एक केपसूल बीकोसूल रोज़ दोपहर को पानी के साथ लेना चाहिए । पचने में भारी, तेज़ मिर्च मसाले वाले और गर्म प्रकृति के पदार्थों का सेवन बन्द रखना चाहिए।

एक कप दूध को खूब देर तक औटाएं और खूब गाढ़ा हो जाए तब एक नीबू निचोड़ कर नीचे उतार कर हिलाते चलाते हुए ठण्डा होने के लिए रख दें। रात सोते समय इसे चेहरे पर लगा कर मसलें । चाहें तो घण्टे भर बाद धो डालें या चाहें तो रात भर चेहरे पर लगा रहने दें और सुबह धोएं। इस प्रयोग से मुहांसे ठीक होते हैं और चेहरे की त्वचा उज्जवल तथा चमकदार होती है।

नारियल का शुद्ध तैल २५० मि.लि. लेकर इसमें २-३ नीबू का रस निचोड़ ले और आग पर खूब अच्छा पका कर उतार लें। ठण्डा करके कपूर की एक छोटी डली पीस कर इसमें डाल दें। इस तैल को स्नान से पहले शरीर पर लगाएं और फिर स्नान करें। जो लोग नियमित या साप्ताहिक रूप से शरीर की तैल-मालिश करते हैं उन्हें इस तैल का प्रयोग करना चाहिए। इस तैल से त्वचा स्वस्थ, चमकीली और चिकनी रहती है तथा मौसम के प्रभाव से बची रहती है।