त्वचा विकार

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आजकल एक रोग तेजी से बढ़ता पाया जा रहा हैं और वह हैं त्वचा रोग। त्वचा रोग कई प्रकार के होते हैं जिनमे सबसे ज्यादा पाया जाने वाला रोग हैं त्वचा पर खुजली चलना, दाने से निकलना जिनमे खुजली चलती हैं। रोगी एक डॉक्टर से दूसरे के पास इलाज के लिए घूमता रहता हैं। प्रायः इसे इलर्जी बता दिया जाता हैं और डॉक्टर एंटीएलर्जिक टेबलेट सेवन कराता हैं जिससे थोड़े समय के लिए आराम होता हैं पर फिर तकलीफ शुरू हो जाती हैं। इस व्याधि को जड़ से नष्ट करने वाले एक उत्तम गुणकारी आयुर्वेदिक योग 'स्वायम्भुव गुग्गुलु' का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा हैं।

घटक द्रव्य- बाकुची व शुद्ध शिलाजीत २०-२० ग्राम, शुद्ध गुग्गुलु ४० ग्राम, स्वर्ण मक्षिक १२ ग्राम। लोह भस्म व गोरख मुंडी ५-५ ग्राम। हरड़, आँवला, करंज के पत्ते, खदिर, गिलोय, निशोथ, नागरमोथा, वायविडंग, हल्दी, कूड़े की छाल- इन सभी दस द्रव्यों का बारीक कुत्ता पिसा चूर्ण २-२ ग्राम। 

निर्माण विधि - शुद्ध शिलाजीत, गुग्गुलु, स्वर्णमाक्षिक और लोह भस्म को अलग रख  
कर शेष सभी द्रव्यों को कूट पीस कर खूब बारीक चूर्ण करके मिला ले। गुग्गुलु को शुद्ध करके मिला ले अंत में शुद्ध शिलाजीत स्वर्ण माक्षिक और लौहभस्म मिला कर खूब घुटाई करे ताकि सभी द्रव्य अच्छी तरह मिल कर एक जान हो जाए।अब आधा आधा ग्राम की गोलिया बना कर सूखा ले और शीशी में भर ले। आवश्यक हो तो गोली बनाने के लिए शहद मिला कर गोलिया बना ले। 

मात्रा एवं सेवन विधि- 
प्रातः खाली पेट एक गोली, पानी के साथ ले।

लाभ- इस गोली के सेवन से सभी त्वचा रोगों से छुटकारा मिल जाता हैं। पूरा लाभ न होने तक औषधि का सेवन करते रहना चाहिए, साथ ही जिस रोग के लिए इस योग का सेवन किया जाए उस रोग से सम्बंधित आवश्यक परहेज का पालन भी सख्ती के साथ किया जाना जरुरी हैं ताकि औषधि निर्विघ्न अपना असर दिखा सके। इस योग पर सुप्रसिद्ध औषधि निर्माता संस्थान श्री धूतपापेश्वर लि. मुंबई ने बहुत गहन अनुसन्धान और प्रयोग करने के बाद इसका निर्माण शुरू किया हैं और इस योग को देश भर में स्थित अपने डीलर्स आयुर्वेदिक औषधि विक्रेताओं की दुकानों पर उपलब्ध किया हैं।

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त्वचा विकार 

आजकल एक रोग तेजी से बढ़ता पाया जा रहा हैं और वह हैं त्वचा रोग। त्वचा रोग कई प्रकार के होते हैं जिनमे सबसे ज्यादा पाया जाने वाला रोग हैं त्वचा पर खुजली चलना, दाने से निकलना जिनमे खुजली चलती हैं। रोगी एक डॉक्टर से दूसरे के पास इलाज के लिए घूमता रहता हैं। प्रायः इसे इलर्जी बता दिया जाता हैं और डॉक्टर एंटीएलर्जिक टेबलेट सेवन कराता हैं जिससे थोड़े समय के लिए आराम होता हैं पर फिर तकलीफ शुरू हो जाती हैं। इस व्याधि को जड़ से नष्ट करने वाले एक उत्तम गुणकारी आयुर्वेदिक योग 'स्वायम्भुव गुग्गुलु' का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा हैं।

घटक द्रव्य- बाकुची व शुद्ध शिलाजीत २०-२० ग्राम, शुद्ध गुग्गुलु ४० ग्राम, स्वर्ण मक्षिक १२ ग्राम। लोह भस्म व गोरख मुंडी ५-५ ग्राम। हरड़, आँवला, करंज के पत्ते, खदिर, गिलोय, निशोथ, नागरमोथा, वायविडंग, हल्दी, कूड़े की छाल- इन सभी दस द्रव्यों का बारीक कुत्ता पिसा चूर्ण २-२ ग्राम। 

निर्माण विधि - शुद्ध शिलाजीत, गुग्गुलु, स्वर्णमाक्षिक और लोह भस्म को अलग रख  
कर शेष सभी द्रव्यों को कूट पीस कर खूब बारीक चूर्ण करके मिला ले। गुग्गुलु को शुद्ध करके मिला ले अंत में शुद्ध शिलाजीत स्वर्ण माक्षिक और लौहभस्म मिला कर खूब घुटाई करे ताकि सभी द्रव्य अच्छी तरह मिल कर एक जान हो जाए।अब आधा आधा ग्राम की गोलिया बना कर सूखा ले और शीशी में भर ले। आवश्यक हो तो गोली बनाने के लिए शहद मिला कर गोलिया बना ले। 

मात्रा एवं सेवन विधि- 
प्रातः खाली पेट एक गोली, पानी के साथ ले।

लाभ- इस गोली के सेवन से सभी त्वचा रोगों से छुटकारा मिल जाता हैं। पूरा लाभ न होने तक औषधि का सेवन करते रहना चाहिए, साथ ही जिस रोग के लिए इस योग का सेवन किया जाए उस रोग से सम्बंधित आवश्यक परहेज का पालन भी सख्ती के साथ किया जाना जरुरी हैं ताकि औषधि निर्विघ्न अपना असर दिखा सके। इस योग पर सुप्रसिद्ध औषधि निर्माता संस्थान श्री धूतपापेश्वर लि. मुंबई ने बहुत गहन अनुसन्धान और प्रयोग करने के बाद इसका निर्माण शुरू किया हैं और इस योग को देश भर में स्थित अपने डीलर्स आयुर्वेदिक औषधि विक्रेताओं की दुकानों पर उपलब्ध किया हैं।