अब एक अत्युत्तम और गुणकारी योग- ‘नवरत्न कल्पामृत’ का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। नवरत्नों एवं अन्य गुणकारी घटक द्रव्यों से निर्मित होने वाला यह योग ‘नवरत्न कल्पामृत’ एक उत्तम और अमृत के समान दिव्य रसायन है। आज के जमाने में अथक परिश्रम और भारी दौड़ धूप से थके हारे और दैनिक जीवन की ज़रूरतों को पूरी करने की चिन्ता की चिता से झुलसत...
अब एक अत्युत्तम और गुणकारी योग- ‘नवरत्न कल्पामृत’ का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। नवरत्नों एवं अन्य गुणकारी घटक द्रव्यों से निर्मित होने वाला यह योग ‘नवरत्न कल्पामृत’ एक उत्तम और अमृत के समान दिव्य रसायन है। आज के जमाने में अथक परिश्रम और भारी दौड़ धूप से थके हारे और दैनिक जीवन की ज़रूरतों को पूरी करने की चिन्ता की चिता से झुलसते हुए स्त्री-पुरुषों के शरीर स्वस्थ नहीं रह पाते और किसी न किसी व्याधि से ग्रस्त बने रहते हैं।...
उचित ढंग से और नियम के अनुसार आहार-विहार न करने, दैनिक जीवन की व्यस्तता और परेशानियों के कारण होने वाले मानसिक तनाव तथा अन्य कारणों के प्रभाव से अधिकांश व्यक्तियों के लिए शरीर से स्वस्थ, चुस्त-दुरुस्त और बलिष्ठ रहना सम्भव नहीं हो पाता जिससे वे कमज़ोर और व्याधियों से ग्रस्त शरीर वाले बने रहने के लिए मजबूर रहते हैं। ऐसी परिस्थि...
उचित ढंग से और नियम के अनुसार आहार-विहार न करने, दैनिक जीवन की व्यस्तता और परेशानियों के कारण होने वाले मानसिक तनाव तथा अन्य कारणों के प्रभाव से अधिकांश व्यक्तियों के लिए शरीर से स्वस्थ, चुस्त-दुरुस्त और बलिष्ठ रहना सम्भव नहीं हो पाता जिससे वे कमज़ोर और व्याधियों से ग्रस्त शरीर वाले बने रहने के लिए मजबूर रहते हैं। ऐसी परिस्थितियों से ग्रस्त स्त्री-पुरुषों के लिए शरीर में नई उर्जा और नया जीवन प्रदान करने वाले एक श्रेष्ठ योग ‘नवजीवन रस’ का परिचय प्रस्तुत है।...
शरीर में किसी भी कारण से उष्णता बढ़ने पर पसीना निकलता है या रक्त स्राव होता है। यह उष्णता पित्त कुपित रहने से भी बढ़ सकती है जिसका कारण पित्त कुपित करने वाले आहार का अति सेवन करना होता है या बाहरी उष्णता का अति संयोग और प्रभाव होना होता है। जैसे तेज़ आंच से दूध उफन कर बर्तन से बाहर आ जाता है वैसे ही पित्त के सतत और अति प्रभाव से रक्त...
शरीर में किसी भी कारण से उष्णता बढ़ने पर पसीना निकलता है या रक्त स्राव होता है। यह उष्णता पित्त कुपित रहने से भी बढ़ सकती है जिसका कारण पित्त कुपित करने वाले आहार का अति सेवन करना होता है या बाहरी उष्णता का अति संयोग और प्रभाव होना होता है। जैसे तेज़ आंच से दूध उफन कर बर्तन से बाहर आ जाता है वैसे ही पित्त के सतत और अति प्रभाव से रक्त पर पित्त का प्रभाव हो जाता है...
अनियमित और अनुचित ढंग से खान पान करने वाले प्रायः उदर रोग और पाचन संस्थान से सम्बन्धित व्याधियों से ग्रस्त बने रहते हैं। ऐसी स्थिति में द्राक्षासव का सेवन बहुत हितकारी सिद्ध होता है। द्राक्षासव का निर्माण प्रायः सभी बड़े आयुर्वेदिक औषधि निर्मातागण करते हैं इसलिए यह औषधि प्रायः आयुर्वेदिक औषधि बेचने वाले छोटे बड़े स्टोर्स...
अनियमित और अनुचित ढंग से खान पान करने वाले प्रायः उदर रोग और पाचन संस्थान से सम्बन्धित व्याधियों से ग्रस्त बने रहते हैं। ऐसी स्थिति में द्राक्षासव का सेवन बहुत हितकारी सिद्ध होता है। द्राक्षासव का निर्माण प्रायः सभी बड़े आयुर्वेदिक औषधि निर्मातागण करते हैं इसलिए यह औषधि प्रायः आयुर्वेदिक औषधि बेचने वाले छोटे बड़े स्टोर्स पर उपलब्ध रहती है।...
आयुर्वेद में दशमूल की बहुत प्रशंसा की गई है। इस प्रकार की जड़ों वाला योग होने से इसे ‘दशमूल’ कहते हैं। ये दस जड़े इन वनस्पतियों की होती है - बेल, गम्भारी, पाटल, अरणी, अरलू, सरिवन, पिठवन, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी और गोखरू । इनके शास्त्रीय नाम क्रमशः इस प्रकार हैं
आयुर्वेद में दशमूल की बहुत प्रशंसा की गई है। इस प्रकार की जड़ों वाला योग होने से इसे ‘दशमूल’ कहते हैं। ये दस जड़े इन वनस्पतियों की होती है - बेल, गम्भारी, पाटल, अरणी, अरलू, सरिवन, पिठवन, बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी और गोखरू । इनके शास्त्रीय नाम क्रमशः इस प्रकार हैं...
दशमूल का शाब्दिक अर्थ है दस जड़ें। दस विभिन्न प्रकार की जड़ों के मिश्रण को दशमूल कहते हैं। इस मिश्रण को काढ़ा विधि से तैयार करके दशमूल क्वाथ यानी काढ़ा तैयार किया जाता है। यह काढ़ा भी ‘अमृतादि क्वाथ’ की तरह बहुत ही गुणकारी और अनेक व्याधियों को नष्ट करने वाला होने से सदैव घर में रखने योग्य है ताकि वक्त ज़रूरत काम में लिया जा सके।
दशमूल का शाब्दिक अर्थ है दस जड़ें। दस विभिन्न प्रकार की जड़ों के मिश्रण को दशमूल कहते हैं। इस मिश्रण को काढ़ा विधि से तैयार करके दशमूल क्वाथ यानी काढ़ा तैयार किया जाता है। यह काढ़ा भी ‘अमृतादि क्वाथ’ की तरह बहुत ही गुणकारी और अनेक व्याधियों को नष्ट करने वाला होने से सदैव घर में रखने योग्य है ताकि वक्त ज़रूरत काम में लिया जा सके।...
आयुर्वेद का एक अत्यन्त गुणकारी योग है त्रिभुवन कीर्ति रस जो ‘यथा नाम तथा गुण’ सारे संसार में प्रसिद्ध होने की क्षमता रखने वाला योग है। इस योग का परिचय प्रस्तुत है।
आयुर्वेद का एक अत्यन्त गुणकारी योग है त्रिभुवन कीर्ति रस जो ‘यथा नाम तथा गुण’ सारे संसार में प्रसिद्ध होने की क्षमता रखने वाला योग है। इस योग का परिचय प्रस्तुत है।...
पोषकतत्व युक्त आहार का अभाव, पाचनशक्ति की कमज़ोरी और अनियमित ढंग से खान-पान करने के परिणाम स्वरूप शरीर में रक्त की कमी हो जाती है जिससे शरीर की त्वचा कान्तिहीन और पीली हो जाती है । इस स्थिति को पाण्डुरोग यानी एनीमिया होना कहते हैं। एनीमिया रोग को ठीक करने वाले एक उत्तम आयुर्वेदिक योग ‘ताप्यादि लौह’ का परिचय प्रस्तुत किया जा र...
पोषकतत्व युक्त आहार का अभाव, पाचनशक्ति की कमज़ोरी और अनियमित ढंग से खान-पान करने के परिणाम स्वरूप शरीर में रक्त की कमी हो जाती है जिससे शरीर की त्वचा कान्तिहीन और पीली हो जाती है । इस स्थिति को पाण्डुरोग यानी एनीमिया होना कहते हैं। एनीमिया रोग को ठीक करने वाले एक उत्तम आयुर्वेदिक योग ‘ताप्यादि लौह’ का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है।...
आज कल के तनाव भरे वातावरण और व्यस्त जीवन के कारण मनुष्य कुछ कठिन रोगों से पीड़ित हो रहा है और यदि उचित चिकित्सा न हो सके तो ऐसे कठिन रोग असाध्य रोग सिद्ध हो रहे हैं। ऐसे रोगों में एक है हृदय रोग। इस रोग को दूर करने में सहायक एक अत्युत्तम आयुर्वेदिक योग ‘जवाहर रत्न प्रधान विशेष’ का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं।
आज कल के तनाव भरे वातावरण और व्यस्त जीवन के कारण मनुष्य कुछ कठिन रोगों से पीड़ित हो रहा है और यदि उचित चिकित्सा न हो सके तो ऐसे कठिन रोग असाध्य रोग सिद्ध हो रहे हैं। ऐसे रोगों में एक है हृदय रोग। इस रोग को दूर करने में सहायक एक अत्युत्तम आयुर्वेदिक योग ‘जवाहर रत्न प्रधान विशेष’ का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं।...
आयुर्वेद ने औषधीय उपयोग के लिए अच्छे गुणकारी तैलों का विवरण भी दिया है। अलग-अलग रोगों के लिए अलग-अलग तैलों का परिचय आयुर्वेद शास्त्र ने बहुत ही अच्छे ढंग से दिया है। सबसे पहले चन्दनबला लाक्षादि तैल के गुण, धर्म और प्रभाव के बारे में परिचय प्रस्तुत है।
आयुर्वेद ने औषधीय उपयोग के लिए अच्छे गुणकारी तैलों का विवरण भी दिया है। अलग-अलग रोगों के लिए अलग-अलग तैलों का परिचय आयुर्वेद शास्त्र ने बहुत ही अच्छे ढंग से दिया है। सबसे पहले चन्दनबला लाक्षादि तैल के गुण, धर्म और प्रभाव के बारे में परिचय प्रस्तुत है।...
चन्द्रप्रभावटी नामक योग आयुर्वेदिक ग्रन्थ शार्गंधर संहिता का है जिसके विषय में ‘रसतन्त्रसार एवं सिद्धप्रयोगसंग्रह’ नामक सुप्रसिद्ध ग्रन्थ में बहुत विस्तार से तत्सम्बन्धित विवरण दिया गया है। यह योग अनेक प्रकार की व्याधियों, खासतौर पर मूत्र विकारों के लिए बहुत ही गुणकारी सिद्ध हुआ है।
चन्द्रप्रभावटी नामक योग आयुर्वेदिक ग्रन्थ शार्गंधर संहिता का है जिसके विषय में ‘रसतन्त्रसार एवं सिद्धप्रयोगसंग्रह’ नामक सुप्रसिद्ध ग्रन्थ में बहुत विस्तार से तत्सम्बन्धित विवरण दिया गया है। यह योग अनेक प्रकार की व्याधियों, खासतौर पर मूत्र विकारों के लिए बहुत ही गुणकारी सिद्ध हुआ है।...
नीम की छाल, चिरायता, हल्दी, लाल चन्दन, हरड़, बहेड़ा, आंवला और अडूसे के पत्ते - सबको सम भाग में ले कर पानी के साथ पीस कर लुगदी बना लें। इससे चौगुनी मात्रा में तैल ले कर और तैल से चौगुना पानी ले कर मन्दी आंच पर पकाएं। जब पानी जल जाए सिर्फ तैल बचे तब उतार कर तुरन्त छान लें, फिर ठण्डा कर लें।
नीम की छाल, चिरायता, हल्दी, लाल चन्दन, हरड़, बहेड़ा, आंवला और अडूसे के पत्ते - सबको सम भाग में ले कर पानी के साथ पीस कर लुगदी बना लें। इससे चौगुनी मात्रा में तैल ले कर और तैल से चौगुना पानी ले कर मन्दी आंच पर पकाएं। जब पानी जल जाए सिर्फ तैल बचे तब उतार कर तुरन्त छान लें, फिर ठण्डा कर लें।...
अब एक अत्युत्तम और गुणकारी योग- ‘नवरत्न कल्पामृत’ का परिचय प्रस्तुत कर रहे ह...
शरीर में किसी भी कारण से उष्णता बढ़ने पर पसीना निकलता है या रक्त स्राव होता है...
अनियमित और अनुचित ढंग से खान पान करने वाले प्रायः उदर रोग और पाचन संस्थान से ...
आयुर्वेद में दशमूल की बहुत प्रशंसा की गई है। इस प्रकार की जड़ों वाला योग होने ...
दशमूल का शाब्दिक अर्थ है दस जड़ें। दस विभिन्न प्रकार की जड़ों के मिश्रण को दशम...
आयुर्वेद का एक अत्यन्त गुणकारी योग है त्रिभुवन कीर्ति रस जो ‘यथा नाम तथा गुण...
पोषकतत्व युक्त आहार का अभाव, पाचनशक्ति की कमज़ोरी और अनियमित ढंग से खान-पान क...
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आयुर्वेद ने औषधीय उपयोग के लिए अच्छे गुणकारी तैलों का विवरण भी दिया है। अलग-...
चन्द्रप्रभावटी नामक योग आयुर्वेदिक ग्रन्थ शार्गंधर संहिता का है जिसके विष...
नीम की छाल, चिरायता, हल्दी, लाल चन्दन, हरड़, बहेड़ा, आंवला और अडूसे के पत्ते - सबको ...