प्रतिदिन मेथी का साग खाने से मूत्र का अधिक होना बंद होता है और आंव की बीमारी अच्छी होती है। सप्ताह दो सप्ताह तक ले।
जिन लोगों को बार बार यानि अधिक मात्रा में मूत्र या जलन के साथ आता हो, तो उहने दो पके केले का सेवन दोपहर के भोजन के उपरंन्त कुछ दिन करना चाहिए।
अंगूर का सेवन अधिक करने से भी मूत्र बार बार या अधिक मात्रा में नही आता।
रात को बार बार पेशाब जाना पड़ता हो तो शाम को पालक की सब्जी खाने से लाभ होता है।
बार बार मूत्र आने पर २५ से ५० ग्राम की मात्रा में भुने हुए चने ( छिलके सहित ) खूब चबा चबा कर खाने चाहिए बाद में ऊपर से थोड़ा सा गुड खाकर पानी पी ले।
दस पंद्रह दिन लगातार शाम को चार बजे या शाम को आधा पेट भोजन करने से बहुमूत्रता रोग में आशातीत लाभ होता है। बूढ़ो को अधिक दिन तक ये खुराक लेनी चाहिए। यदि पाचन शक्ति अधिक बिगड़ी हो तो ये प्रयोग न करे।
सुबह शाम गुड से बना हुआ तिल का एक एक लड्डू ( बीस बीस ग्राम का ) खाने से बार बार मूत्र आना बंद हो जाता है। आवश्यकता अनुसार चार पांच दिन खायें। सर्दी में यह प्रयोग उपयुक्त रहता है।