आयुर्वेदिक ग्रंथ 'भैषज्य रत्नावली' के योनि व्याप चिकित्सा प्रकरण में श्लोक क्र. 85 से 91 तक 'सोम घृत' संबंधी विवरण दिया गया है। यहां बताया गया हैकि गर्भ स्थापना के दो मास पूरे होने पर, तीसरे मास से लेकर आठवां मास पूरा होने तक यानि छह मास तक गर्भवती स्त्री को 'सोमघृत' का सेवन अवश्य करना चाहिए। सोमघृत के विषय में कहा है-
आयुर्वेदिक ग्रंथ 'भैषज्य रत्नावली' के योनि व्याप चिकित्सा प्रकरण में श्लोक क्र. 85 से 91 तक 'सोम घृत' संबंधी विवरण दिया गया है। यहां बताया गया हैकि गर्भ स्थापना के दो मास पूरे होने पर, तीसरे मास से लेकर आठवां मास पूरा होने तक यानि छह मास तक गर्भवती स्त्री को 'सोमघृत' का सेवन अवश्य करना चाहिए। सोमघृत के विषय में कहा है-...
चिकित्सा- सुबह शाम भोजन करने से दो घंटे पहले फलधारा १ बड़ा चम्मच
चिकित्सा- सुबह शाम भोजन करने से दो घंटे पहले फलधारा १ बड़ा चम्मच...
शिशु को जन्म देते समय प्रसूता को न सिर्फ असहनीय पीड़ा ही सहनी पड़ती है बल्कि रक्तस्राव और पीड़ा की अधिकता के प्रभाव से हलकान हुई नव-प्रसूता बहुत कमज़ोर भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में यदि उसे उचित आहार-विहार कराया जाए तो न सिर्फ उसका शरीर ही फिर से पुष्ट और सबल हो जाएगा बल्कि उसका रूप-सौन्दर्य पहले से भी अधिक बढ़ जाएगा। यह पति एव...
शिशु को जन्म देते समय प्रसूता को न सिर्फ असहनीय पीड़ा ही सहनी पड़ती है बल्कि रक्तस्राव और पीड़ा की अधिकता के प्रभाव से हलकान हुई नव-प्रसूता बहुत कमज़ोर भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में यदि उसे उचित आहार-विहार कराया जाए तो न सिर्फ उसका शरीर ही फिर से पुष्ट और सबल हो जाएगा बल्कि उसका रूप-सौन्दर्य पहले से भी अधिक बढ़ जाएगा। यह पति एवं पूरे परिवार का परमपुनीत कर्तव्य है...
आयुर्वेदिक ग्रन्थ ‘भैषज्य रत्नावली' के योनि व्याप चिकित्सा प्रकरण में श्लोक क्र. ८५ से ९१ तक ‘सोम घृत' सम्बन्धी विवरण दिया गया है। यहां बताया गया है कि गर्भ स्थापना के दो मास पूरे होने पर, तीसरे मास से लेकर आठवां मास पूरा होने तक यानि छः माह तक गर्भवती स्त्री को ‘सोमघृत' का सेवन अवश्य करना चाहिए। सोम घृत के विषय में कहा है-
आयुर्वेदिक ग्रन्थ ‘भैषज्य रत्नावली' के योनि व्याप चिकित्सा प्रकरण में श्लोक क्र. ८५ से ९१ तक ‘सोम घृत' सम्बन्धी विवरण दिया गया है। यहां बताया गया है कि गर्भ स्थापना के दो मास पूरे होने पर, तीसरे मास से लेकर आठवां मास पूरा होने तक यानि छः माह तक गर्भवती स्त्री को ‘सोमघृत' का सेवन अवश्य करना चाहिए। सोम घृत के विषय में कहा है-...
प्रथम मास- गर्भकाल का प्रथम मास गर्भाधान होते ही शुरू हो जाता है इसलिए जब गर्भाधान करें, उसी दिन से प्रथम मास में सेवन करने योग्य पदार्थों का सेवन शुरू कर दें। जब अपेक्षित तारीख को ऋतु स्राव न हो तो पहला मास समाप्त मान कर दूसरे मास की चिकित्सा शुरू कर दें। यदि गर्भ-स्थापना न भी हो और अपेक्षित तारीख को ऋतु स्राव हो जाए तो भी इन पद...
प्रथम मास- गर्भकाल का प्रथम मास गर्भाधान होते ही शुरू हो जाता है इसलिए जब गर्भाधान करें, उसी दिन से प्रथम मास में सेवन करने योग्य पदार्थों का सेवन शुरू कर दें। जब अपेक्षित तारीख को ऋतु स्राव न हो तो पहला मास समाप्त मान कर दूसरे मास की चिकित्सा शुरू कर दें। यदि गर्भ-स्थापना न भी हो और अपेक्षित तारीख को ऋतु स्राव हो जाए तो भी इन पदार्थों का सेवन करने से कोई हानि न होगी, स्वास्थ्य-लाभ ही होगा।...
आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक संहिता के शारीरस्थानम् नामक आठवें अध्याय में विस्तार से नवमास चिकित्सा का विधि-विधान प्रस्तुत किया गया है। उसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत न करके सरल भाषा-शैली में यहां प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि पाठिकाओं को इसे समझने में असुविधा न हो। इस चिकित्सा के अन्तर्गत गर्भकाल के आरम्भ से प्रसव होने तक की अवधि में प...
आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक संहिता के शारीरस्थानम् नामक आठवें अध्याय में विस्तार से नवमास चिकित्सा का विधि-विधान प्रस्तुत किया गया है। उसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत न करके सरल भाषा-शैली में यहां प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि पाठिकाओं को इसे समझने में असुविधा न हो। इस चिकित्सा के अन्तर्गत गर्भकाल के आरम्भ से प्रसव होने तक की अवधि में प्रतिमास अलग-अलग ढंग से कुछ औषधियों एवं आहार द्रव्यों का सेवन करना होता है।...
जिन युवतियों के स्तनों की बनावट सुडौल और पुष्ट न होकर या तो स्तन ज्यादा छोटे हों या ज्यादा बड़े हों, ढीले और लटके हुए हों, वे युवतियां बड़ी हीनता का अनुभव करती हैं। सभी युवतियां चाहती हैं कि उनके स्तन सुडौल, भरे हुए और पुष्ट बने रहें। ताकि उनकी देहयष्टि (Figure) सुन्दर और आकर्षक दिखाई दे। कुछ युवतियां इस भ्रम और भय के कारण अपने शिशु ...
जिन युवतियों के स्तनों की बनावट सुडौल और पुष्ट न होकर या तो स्तन ज्यादा छोटे हों या ज्यादा बड़े हों, ढीले और लटके हुए हों, वे युवतियां बड़ी हीनता का अनुभव करती हैं। सभी युवतियां चाहती हैं कि उनके स्तन सुडौल, भरे हुए और पुष्ट बने रहें। ताकि उनकी देहयष्टि (Figure) सुन्दर और आकर्षक दिखाई दे। कुछ युवतियां इस भ्रम और भय के कारण अपने शिशु को दूध पिलाने से कतराती हैं कि इससे उनके स्तन बड़े आकार के, बेडौल और ढीले हो जाएंगे। यहां कुछ लाभप्रद उपाय प्रस्तुत हैं।...
कई युवतियों के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं उतरता जिससे शिशु भूखा रह जाता है। दूध में कमी होने के कारणों में युवती के शरीर की कमज़ोरी, सदा शोक और चिन्ता से ग्रस्त रहना या किसी तरह का मानसिक आघात लगना आदि प्रमुख हैं। इस व्याधि को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए। चावल और थोड़ा सा सफ़ेद जीरा दूध में डाल कर प...
कई युवतियों के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं उतरता जिससे शिशु भूखा रह जाता है। दूध में कमी होने के कारणों में युवती के शरीर की कमज़ोरी, सदा शोक और चिन्ता से ग्रस्त रह ना या किसी तरह का मानसिक आघात लगना आदि प्रमुख हैं। इस व्याधि को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए। चावल और थोड़ा सा सफ़ेद जीरा दूध में डाल कर पकाएं। इस खीर का कुछ दिनों तक सेवन करने से स्तनों में दूध बढ़ जाता है।...
सामग्री - शतावर सवा किलो, आधा लिटर तैल (खाने का) और पानी आठ लिटर । विधि - एक किलो शतावर को जौ-कुट (मोटा-मोटा) कूट कर एक तरफ़ रख दें। २५० ग्राम शतावर को खूब कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें। एक बड़े बर्तन में आठ लिटर पानी भर कर जौ-कुट किया हुआ शतावर चूर्ण डाल दें और आग पर चढ़ा कर इतना उबालें कि पानी एक चौथाई यानि २ लिटर बचे। इसे उतार लें। यह क...
सामग्री - शतावर सवा किलो, आधा लिटर तैल (खाने का) और पानी आठ लिटर ।
विधि - एक किलो शतावर को जौ-कुट (मोटा-मोटा) कूट कर एक तरफ़ रख दें। २५० ग्राम शतावर को खूब कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें। एक बड़े बर्तन में आठ लिटर पानी भर कर जौ-कुट किया हुआ शतावर चूर्ण डाल दें और आग पर चढ़ा कर इतना उबालें कि पानी एक चौथाई यानि २ लिटर बचे। इसे उतार लें। यह काढ़ा बन गया।...
योनि मार्ग में शोथ, जलन, घाव, दुर्गन्ध आना, लाली होना, सहवास में कष्ट होना, खुजली या कोई संक्रमण (इन्फेक्शन) के प्रभाव से चिटचिटाहट होना आदि उपद्रवों को दूर करने के लिए धातक्यादि तैल' का फाहा प्रतिदिन योनि में रखने से सब उपद्रव नष्ट हो जाते हैं। परीक्षित है। यह तैल ‘श्री कृष्ण गोपाल आयुर्वेद भवन, कालेड़ा अजमेर का बना बाज़ार में ...
योनि मार्ग में शोथ, जलन, घाव, दुर्गन्ध आना, लाली होना, सहवास में कष्ट होना, खुजली या कोई संक्रमण (इन्फेक्शन) के प्रभाव से चिटचिटाहट होना आदि उपद्रवों को दूर करने के लिए धातक्यादि तैल' का फाहा प्रतिदिन योनि में रखने से सब उपद्रव नष्ट हो जाते हैं। परीक्षित है। यह तैल ‘श्री कृष्ण गोपाल आयुर्वेद भवन, कालेड़ा अजमेर का बना बाज़ार में मिलता है।...
यदि प्रतिदिन गुलाब के ताजे फूल मिल सकें तो यह नुस्खा बहुत सरल भी है और सस्ता भी। ताज़े ५ फूल और आधा चम्मच पिसी मिश्री सुबह और ऐसे ही शाम को खा कर एक गिलास मीठा दूध, २-३ सप्ताह तक, पीने से स्त्रियों का प्रदर रोग, पेशाब की जलन, पित्त प्रकोप, खूनी बवासीर तथा क़ब्ज़ आदि व्याधियां दूर होती हैं।
यदि प्रतिदिन गुलाब के ताजे फूल मिल सकें तो यह नुस्खा बहुत सरल भी है और सस्ता भी। ताज़े ५ फूल और आधा चम्मच पिसी मिश्री सुबह और ऐसे ही शाम को खा कर एक गिलास मीठा दूध, २-३ सप्ताह तक, पीने से स्त्रियों का प्रदर रोग, पेशाब की जलन, पित्त प्रकोप, खूनी बवासीर तथा क़ब्ज़ आदि व्याधियां दूर होती हैं।...
बहुत कम महिलाएं ऐसी होती हैं जो किसी न किसी प्रकार के प्रदर रोग से ग्रस्त न हुई हों। जैसे अधिकांश पुरुष किसी न किसी प्रकार के प्रमेह रोग से, जो २० प्रकार का होता है, ग्रस्त बने रहते हैं वैसे ही स्त्रियां प्रायः प्रदर रोग से ग्रस्त हो जाया करती है। प्रदर होने के कई कारण होते हैं जिनमें योनि-मार्ग में संक्रमण (इन्फेक्शन) होना, कई घ...
बहुत कम महिलाएं ऐसी होती हैं जो किसी न किसी प्रकार के प्रदर रोग से ग्रस्त न हुई हों। जैसे अधिकांश पुरुष किसी न किसी प्रकार के प्रमेह रोग से, जो २० प्रकार का होता है, ग्रस्त बने रहते हैं वैसे ही स्त्रियां प्रायः प्रदर रोग से ग्रस्त हो जाया करती है। प्रदर होने के कई कारण होते हैं जिनमें योनि-मार्ग में संक्रमण (इन्फेक्शन) होना, कई घाव होना जिससे स्राव (डिस्चार्ज) होता हो, शारीरिक दुर्बलता, अधिक भोगविलास, अधिक मानसिक तनाव व चिन्ता, भोजन की अनियमितता, मांस-मद्य का सेवन, अजीर्ण रहना, अति शोक-दुःख करना...
आयुर्वेदिक ग्रंथ 'भैषज्य रत्नावली' के योनि व्याप चिकित्सा प्रकरण में श्लोक ...
चिकित्सा- सुबह शाम भोजन करने से दो घंटे पहले फलधारा १ बड़ा चम्मच
शिशु को जन्म देते समय प्रसूता को न सिर्फ असहनीय पीड़ा ही सहनी पड़ती है बल्कि ...
प्रथम मास- गर्भकाल का प्रथम मास गर्भाधान होते ही शुरू हो जाता है इसलिए जब गर्...
आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक संहिता के शारीरस्थानम् नामक आठवें अध्याय में विस्ता...
जिन युवतियों के स्तनों की बनावट सुडौल और पुष्ट न होकर या तो स्तन ज्यादा छोटे ...
कई युवतियों के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं उतरता जिससे शिशु भूख...
सामग्री - शतावर सवा किलो, आधा लिटर तैल (खाने का) और पानी आठ लिटर । विधि - एक किलो ...
यदि प्रतिदिन गुलाब के ताजे फूल मिल सकें तो यह नुस्खा बहुत सरल भी है और सस्ता भ...